top of page
  • Writer's pictureSamanta

SUMMERS 2023




जब मुझे पता चला की पूरे जून हमारी ट्रैनिंग होगी तो थोड़ा मन उदास सा हुआ की कैसे इतनी धूप में रोज़ जायेंगे। ऑफिस में गर्मी लगेगी, काफी कुछ खयाल मन में आए। फिर ट्रेनिंग शुरू हो गई, शुरू-शुरू में थोड़ी मुशीकिले, आलस आया । पर बाद में हमे माज़ा आने लगा। हमारा समय कब बीत जाता हमे पता ही नही चलता। रोज़ नए-नए चैलेंज आते जैसे टीम के तौर पे टाइमिंग और प्प्रोजेक्ट से जुड़े हुए।


निजी तौर पे अपने SWOT, North Star पर हमे मिलकर सुलझाने में उतना ही मजा आता। फिर एक दिन अचानक गुनीत भाई बोले असेसमेंट डाटा अभी पूरा नहीं हुआ है। ये एक बड़ा चैलेंज था। पर हमने साथ मिलकर इसका भी हल खोज लिया। अब हमने रोज सुबह एक हफ्ते के लिए असेसमेंट लेने मदरसों में जाने का प्लान बनाया और ट्रेनिंग टाइम को थोड़ी शॉर्ट किया। अगली सुबह मदरसे में मुझे देख बच्चे हैरान और बहुत खुश हो गए। उन्हे खुश देखकर मेरे अंदर भी एक ऊर्जा सी दौड़ उठी। पहले दिन बच्चे थोड़े कम थे, मैने बच्चो को कहा कि मैं कल भी आऊँगा ।


जब मैं दुबारा गया तो बच्चो की संख्या बढ़ गई थी और असेस्मेंट कंप्लीट हो गए। फिर से हमारी रेगुलर ट्रेनिंग शुरू हो गई। सब कुछ बेहतर जा रहा था ,कि अचानक मेरी नानी की तबियत बहुत खराब हो गई और उन्हे अस्पताल में भर्ती करने की नौबत आ गई। क्योंकि मुझे अपनी नानी से बहुत लगाव है तो मैं उन्हें मिलने गया। मैं उनके पास 3 दिन रुका। मुझे ट्रेनिंग में क्या चल रहा होगा उसकी चिंता हो रही थी इसलिए मैंने बिना कुछ सोचे वापिस आना का निर्णय लिया। यह मेरे लिए बहुत कठिन था क्योंकि अभी भी नानी की तबियत ठीक नही थी। वापिस आके मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था। फिर से ट्रेनिंग को कैच करना मेरे लिए काफी मुश्किल हो रहा था। पर समानता टीम ने मेरा साथ दिया और परेशानियां समझी। इसके साथ-साथ अलगे हफ़्ते से ट्रेनिग ऑनलाइन मोडपर शिफ्ट हो गई जोकि मेरे लिए बहुत ख़ुशी की बात थी। ट्रेनिंग और पर्सनल चैलेंज के बीच कब यह महीना गुज़र गया पता ही नही चला और स्कूल शुरू हो गये।


By Shoaib

5 views0 comments

Recent Posts

See All
bottom of page