सफलताएं प्राप्त करने की पहल
- Samanta
- Aug 29
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सबसे पहले अपने रिश्ते को बेहतर बनाने के लिए उनसे अपने और उनके कार्य के बारे में अधिक से अधिक हमने बात की ,कार्यकर्ता और हेल्पर को धीरे-धीरे उन गतिविधियों में शामिल किया जिनमें बच्चे और हम दोनों सम्मिलित रहे। बच्चों के लिए टी,एल, एम और गतिविधि की महत्वता को समझाया। और बच्चों के लिए धीरे-धीरे टी,एल, एम बनाना शुरू किया। और जिस तरह से बच्चे सीख रहे थे उसी तरह हमने माता-पिता से बात करना शुरू किया, हमने माता-पिता के सामने उन्हीं बातों को रखा जो बच्चे सीख रहे थे। उन्हें यह समझाया की माता-पिता पर आपकी बातों का प्रभाव अधिक होगा। अपने और बच्चों से जुड़े सभी कामों को हर तरह से मैडम के सामने रखा ताकि मैडम को महसूस हो, कि वह और हम एक हैं,अलग नहीं हम बच्चों को एक साथ रखने व सीखाने का ही कार्य कर रहे हैं।

कार्य के दौरान मेहनत और प्रयास
कार्यकर्ता के साथ अपने सभी कार्य को साझा किया चाहे वह ट्रेनिंग का हो,चाहे वह बच्चों की एक्टिविटी हो ,चाहे बच्चों के लिए टी,एल, एम हो।
कार्यकर्ता को वह कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया जो बच्चों के लिए लाभदायक सिद्ध हो।
उन्हें उनकी जिम्मेदारियां का अभाव करवाने के लिए उनके साथ मिलकर कार्य किया।
माता-पिता के साथ बात करने व उनके साथ अपने संबंध को घनिष्ठ करने के लिए हमने प्रोग्राम का आयोजन किया जिसमें सभी माता-पिता को आना था। और जो हर महीने बच्चों की लर्निंग को लेकर इसमें हम बात करेंगे जो एक (पीएलसी) (पेरेंट्स लर्निंग सर्कल) है।इसमें हमने माता-पिता और उनके परिवार वालों से अपने रिश्ते को बेहतर बनाया।

आज की हमारी उपलब्धियां है
इन सब कार्यों को करते-करते अब हम कुछ इस मोड़ पर हैं कि जहां कार्यकर्ता अपनी जिम्मेदारियां को उठा रही है जो बच्चों को गतिविधियां करते है, उनको समझने की कोशिश और प्रयास करती हैं। उनकी ग्रोथ का ध्यान रखती है। माता-पिता से उनके बच्चों के लिए बात करती है उनको प्रोत्साहित करती है ताकि वह आने वाले समय में अपने बच्चों के लिए तैयार रह सके। बच्चों को उनकी सीखने की क्षमता के हिसाब से सभी माता-पिता के साथ चर्चा करती है।वह किसी भी कार्य को करने से पूर्व एक बार हेल्पर और एजुकेटर की सलाह लेना भी जरूरी समझती हैं।

By Sakshi Haldia
(SEEDS Educator)










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