प्राथमिक विद्यालयों में लाइब्रेरी की ज़रूरत और हमारी पहल
- Samanta
- Oct 7
- 4 min read
क्यों ज़रूरी है लाइब्रेरी?
जब बच्चा प्राथमिक कक्षाओं में होता है, तब वह धीरे-धीरे पढ़ना-लिखना सीख रहा होता है। यही वह उम्र है जब उसकी कल्पना, भाषा और जिज्ञासा सबसे तेज़ी से बढ़ रही होती है। अगर उसे इस समय सही माहौल और किताबें मिल जाएँ, तो वह पढ़ने से प्यार करना सीख लेता है।
लाइब्रेरी सिर्फ़ किताबों को रखने की जगह नहीं होती। यह वह जगह है जहाँ बच्चा अपनी सोच को पंख दे सकता है, कहानियों में खो सकता है और नए-नए सपने देख सकता है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 में भी यही बात कही गई है कि Foundational Literacy and Numeracy मज़बूत करने के लिए बच्चों में पढ़ने की आदत डालना बेहद ज़रूरी है। इसलिए हर स्कूल में लाइब्रेरी होना और पढ़ने की संस्कृति (Reading Culture) को बढ़ावा देना बहुत महत्वपूर्ण है।
सजनपुरा विद्यालय से शुरुआत
हमारी इस सोच को ज़मीन पर उतारने की शुरुआत प्राथमिक विद्यालय सजनपुरा से हुई।

HM और शिक्षकों से बातचीत में यह समझा कि यदि बच्चों को एक अनुकूल वातावरण और आकर्षक संसाधन दिए जाएँ तो वे खुद आगे आकर पढ़ने की आदत विकसित करते है।
हमारा पहला कदम था — शिक्षकों और HM से संवाद स्थापित करना। हमने उनसे पूछा- “आपके अनुसार बच्चों की सीखने की प्रक्रिया में लाइब्रेरी की क्या भूमिका हो सकती है?”
शिक्षकों ने अपने अनुभव साझा किए और बताया कि यदि बच्चों को आकर्षक माहौल और विविध किताबें मिलें, तो वे स्वाभाविक रूप से पढ़ने लगेंगे।
इसके बाद हमने अपना पूरा प्लान समझाया — “कैसे हम स्कूल में एक जीवंत लाइब्रेरी बनाएँगे जहाँ बच्चे पढ़ेंगे, खेलेंगे और कहानियों के ज़रिए सीखेंगे।”
हमने HM से यह भी जाना कि स्कूल में कौन-कौन सी किताबें और संसाधन पहले से उपलब्ध हैं, जिन्हें हम लाइब्रेरी में शामिल कर सकते हैं। स्कूल में अलमारियाँ, पुरानी किताबें और कुछ संसाधन पहले से ही थे, जिन्हें व्यवस्थित करने का निर्णय लिया गया।
शिक्षकों का साथ
लाइब्रेरी की तैयारी में शिक्षकों और HM मैडम का सहयोग सबसे अहम रहा। उन्होंने शुरुआत से ही मेरा उत्साह बढ़ाया और कई सुझाव दिए कि बच्चों के लिए लाइब्रेरी को कैसे और ज़्यादा आकर्षक और उपयोगी बनाया जा सकता है। उनके अनुभव ने यह तय करने में मदद की कि किस उम्र के बच्चों के लिए कैसी किताबें और संसाधन ज़रूरी होंगे।
विद्यार्थियों की भागीदारी
बच्चे इस प्रक्रिया में सबसे ज़्यादा उत्साहित दिखे। सफ़ाई से लेकर अलमारी सजाने और दरी बिछाने तक, उन्होंने हर काम में हाथ बंटाया। कई बच्चों ने तो लाइब्रेरी की जिम्मेदारी खुद उठाने की इच्छा जताई। उनका यह अपनापन और ज़िम्मेदारी की भावना ही लाइब्रेरी की असली ताक़त है।

स्कूल में एक अतिरिक्त कक्ष को लाइब्रेरी बनाने का निश्चय हुआ। कमरे की सफ़ाई में बच्चे स्वयं भागीदार बने। जब बच्चों ने मिलकर कमरा साफ़ किया, तो यह केवल सफ़ाई नहीं बल्कि लाइब्रेरी को अपना बनाने का पहला कदम था।
लाइब्रेरी का स्वरूप – बच्चों के अनुकूल जगह
लाइब्रेरी तैयार करते समय ध्यान रखा गया कि यह बच्चों के लिए केवल पढ़ाई की जगह न लगे, बल्कि एक खुला, रोशन और दोस्ताना माहौल बने। इसके लिए:
उम्र अनुसार किताबें – छोटे बच्चों के लिए चित्रकथाएँ, प्राथमिक कक्षाओं के लिए कहानियाँ और बड़े बच्चों के लिए ज्ञानवर्धक पुस्तकें उपलब्ध कराई गईं।

कॉर्नर की व्यवस्था –
Art & Craft Corner बच्चों की रचनात्मकता बढ़ाने के लिए
Study Zone पढ़ने-लिखने के लिए
Play Zone सीखते हुए खेलने की गतिविधियों के लिए
TLM Corner शिक्षण-सामग्री (Teaching Learning Material) के लिए
बैठने की सुविधा – Samanta Foundation के Parvat Youth Collective से प्राप्त आसन और मैट्स जिन पर बच्चे आराम से बैठ सकें।

अलमारियाँ – किताबों को सुरक्षित व व्यवस्थित रखने के लिए।


आकर्षक सजावट – दीवारों पर रंग-बिरंगे चार्ट, प्रेरक पंक्तियाँ और पोस्टर्स।
प्राकृतिक रोशनी और खुलापन – ताकि बच्चे सहज और उत्साहित महसूस करें।
HM से अनुमोदन – हर व्यवस्था और नियम में HM की सहमति ली गई ताकि यह सामूहिक प्रयास बन सके।
लाइब्रेरी का उपयोग और निगरानी
लाइब्रेरी में पढ़ाई सही तरीके से हो रही है या नहीं, यह जानने के लिए हमने LMC कार्ड और LMC पोस्टर तैयार किए। इन उपकरणों से हम यह ट्रैक कर सकते हैं कि बच्चे कौन-सी किताबें पढ़ रहे हैं, कौन कितनी किताबें पढ़ रहा है और किस किताब में सबसे ज़्यादा रुचि है।
इस प्रक्रिया में बच्चे भी सक्रिय रूप से शामिल हैं। जब वे अपनी पढ़ाई के रिकॉर्ड को भरते हैं या पोस्टर पर अपनी पसंदीदा किताबों को चिह्नित करते हैं, तो उन्हें अपने पढ़ने की आदत का एहसास होता है। यह सिर्फ़ निगरानी का तरीका नहीं है, बल्कि बच्चों को अपनी प्रगति देखने और पढ़ाई में गर्व महसूस करने का मौका भी देता है।


नियम और सहभागिता
लाइब्रेरी तभी प्रभावी बनती है जब उसमें सही नियम और सक्रिय भागीदारी हो। इसके लिए तय किया गया:
किताब लेन-देन के नियम – बच्चे तय समय और प्रक्रिया के अनुसार किताबें घर ले जा सकते हैं और वापस कर सकते हैं।
नियमित गतिविधियाँ –
कहानी सुनाने (Story Telling) के सत्र
सामूहिक पठन (Read Aloud)
मज़ेदार शैक्षिक खेल और रचनात्मक गतिविधियाँ


बच्चों को जिम्मेदारी – हर महीने दो बच्चों को “लाइब्रेरी साथी” बनाया जाएगा। ये साथी किताबों की देखभाल करेंगे और दूसरों को पढ़ने के लिए प्रेरित करेंगे।
सुझाव और समीक्षा – समय-समय पर बच्चों और शिक्षकों से फीडबैक लेकर लाइब्रेरी को और बेहतर बनाने की प्रक्रिया जारी रहेगी।
निष्कर्ष
सजनपुरा विद्यालय में लाइब्रेरी की यह शुरुआत हमारे लिए एक छोटी सी किरण की तरह है। बच्चों की चमकती आँखें, उनकी जिज्ञासा और जिम्मेदारी लेने का उत्साह यह दिखाता है कि लाइब्रेरी सिर्फ़ किताबों का कमरा नहीं, बल्कि उनके सपनों का घर है।
हमारी कोशिश है कि आने वाले समय में यही अनुभव दूसरे विद्यालयों तक पहुँचे। ताकि हर बच्चा किताबों से दोस्ती कर सके, आत्मविश्वास से आगे बढ़े और अपनी रचनात्मक सोच को नए आयाम दे सके।
लाइब्रेरी वह जगह है जहाँ बच्चे कहानियों में खोकर मुस्कुरा सकते हैं, नए विचारों से चौंक सकते हैं और सबसे अहम – साथ मिलकर सीखने का आनंद ले सकते हैं।
By Vinit
Program Associate (Reach +)










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