सार्थक साझेदारी: ग्रामीण युवाओं के साथ बदलाव की साझा यात्रा
- Samanta
- 12 hours ago
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आज के दौर में जब संसाधनों की कमी और सामाजिक चुनौतियाँ लगातार बढ़ रही हैं, तब एक अकेली संस्था या व्यक्ति बदलाव की बड़ी प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ा सकता। यही कारण है कि साझेदारी यानी साथ मिलकर काम करना आज की सबसे बड़ी ज़रूरत बन गई है।
मैं, आमना, पर्वत यूथ कलेक्टिव (PYC) से जुड़ी हूँ और पिछले कुछ समय से Samanta Foundation के साथ मिलकर स्थानीय ग्रामीण क्षेत्रों में युवाओं के साथ काम कर रही हूँ। यह केवल एक पेशेवर सहयोग नहीं, बल्कि एक ऐसा सफर है जिसमें हर दिन कुछ नया सीखने और साझा करने को मिलता है।
हमारे काम का केंद्र बिंदु हैं , गांवों के युवा, जो अपने भविष्य को लेकर उत्साहित तो हैं, लेकिन कई बार अवसरों की कमी, संसाधनों की अनुपलब्धता और मार्गदर्शन के अभाव में पिछड़ जाते हैं। ऐसे में, जब दो संगठन एक साथ आकर काम करते हैं ,तो सिर्फ शक्ति ही नहीं बढ़ती, बल्कि विश्वास, समझ और दिशा भी मिलती है।
साझेदारी का असल मतलब
साझेदारी का अर्थ सिर्फ काम बाँटना नहीं है।
इसका मतलब है ::
एक-दूसरे की कहानियों को सुनना,
एक-दूसरे की क्षमताओं का सम्मान करना,
और सबसे ज़रूरी, साझा उद्देश्य के लिए प्रतिबद्ध रहना।
पिछले कुछ समय से Samanta Foundation की अन्य संस्थाओं के बीच ऐसी ही साझेदारी विकसित हुई है। हमने मिलकर ग्रामीण युवाओं के साथ कई तरह की गतिविधियाँ करी जैसे नेतृत्व प्रशिक्षण, शैक्षणिक सहयोग, सांस्कृतिक आयोजन, और आजीविका से जुड़े संवाद। इन सभी कार्यक्रमों ने न सिर्फ युवाओं को नया दृष्टिकोण दिया, बल्कि हमें भी उनके अनुभवों से बहुत कुछ सीखने को मिला।
अनुभवों से सीख
इसी तरह का एक और अनुभव हमें तब मिला जब हमने हाल ही में युवाओं के साथ एक एक्सपोज़र विज़िट दिल्ली में किया। इस यात्रा में हमारे समूह में ज़्यादातर युवा लड़कियाँ थीं, और हम सभी चार दिन तक साथ रहे। इस दौरान मुझे यह जानकर हैरानी और खुशी दोनों हुई कि उनमें से कई पहली बार दिल्ली आई थीं। उनके लिए वहां की हर चीज़, मेट्रो, संग्रहालय, बड़ी इमारतें, और लोगों का ढंग , सब कुछ नया और सीखने लायक था।
उनके चेहरों पर जो जिज्ञासा और उत्साह था, उसने मुझे यह सिखाया कि सिर्फ जगह बदलने से नहीं, बल्कि अनुभवों को साझा करने से भी दृष्टिकोण बदलते हैं। यह यात्रा, साझेदारी की ही देन थी, जिसने इन लड़कियों को एक नया संसार दिखाया और उन्हें आत्मविश्वास से भर दिया।

साझेदारी कैसे मजबूत बने?
सार्थक साझेदारी बनाना आसान नहीं, लेकिन नामुमकिन भी नहीं। इसके लिए ज़रूरी है:
खुला संवाद: सभी पक्षों को अपनी बात कहने और सुनने की जगह मिले।
भरोसा: बिना भरोसे कोई भी रिश्ता टिकता नहीं, और साझेदारी तो रिश्तों से ही बनती है।
लचीलापन: हर परिस्थिति में एक जैसा न सोचकर, मिलकर रास्ता निकालने की समझ।
साझा सीख: एक-दूसरे की गलतियों से भी सीखना और उन्हें स्वीकार करना।
आगे की राह
हम मानते हैं कि हर साझेदारी सिर्फ एक प्रोजेक्ट या कार्यक्रम तक सीमित नहीं होनी चाहिए। यह एक लंबी यात्रा है, जिसमें हर मोड़ पर नई चुनौतियाँ और नए अवसर आते हैं। भविष्य में भी हम Samanta Foundation और अन्य संगठनों के साथ मिलकर ऐसे प्रयास करते रहेंगे, जहाँ युवा केवल लाभार्थी नहीं, साथी और लीडर बनें।
आज अगर हम ग्रामीण युवाओं को सशक्त करना चाहते हैं, तो हमें संस्थानिक दीवारों को तोड़कर, मिलकर काम करना होगा। यही साझेदारी की असली ताकत है, मिलकर चलना, सीखना, और एक-दूसरे को आगे बढ़ाना।
आमना, पर्वत यूथ कलेक्टिव (PYC) की सक्रिय सदस्य हैं और Samanta Foundation के साथ मिलकर हरिद्वार के ग्रामीण क्षेत्रों में युवाओं के सशक्तिकरण पर कार्य कर रही हैं। उनकी रुचि विशेष रूप से लीडरशिप डेवलपमेंट, शिक्षा और सामाजिक समानता के मुद्दों पर केंद्रित है।










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