top of page
  • Writer's pictureSamanta

स्कूल लाइब्रेरी

Updated: Jul 29



स्कूल लाइब्रेरी सुनते ही आपके दिमाग में क्या छवि बनती हैं? दिमाग में एक किताबो से भरा कमरा कोई जगह आती है। पर क्या हो अगर आप को में कहूं की लायब्रेरी मतलब कोई एक विशिष्ट जगह नहीं बल्कि जहा बच्चे कहानी पढ़ सके और सुन सके, वह जगह अपने आप में लाइब्रेरी है। इसी सवाल के साथ मैं 1 महीने जूझा हूँ। गुज्जार बस्ती, गैंडिखाता के एक स्कूल में कमरे या कोई जगह ना होने के कारण तो काफी है और समस्याएं उससे भी कही अधिक ज्यादा है। गर्मी में एक ही कमरे में 60 से उप्पर बच्चे और दो अध्यापक आपको सुनकर ही गर्मी लगी होगी। पर बच्चे और अध्यापक रोज इन्ही हालतों में पढ़ाई करते है। खेर वह अपने आप में एक अलग विषय है पर लायब्रेरी का क्या हुआ?


अध्यापकों से काफी बात करके कुछ हल सोचे गए जैसे क्या हम कोई टेंट की व्यवस्था कर सकते है? या पड़ोसी के छप्पर का इस्तेमाल कर सकते है? या हर कमरे को ही लाइब्रेरी बना सकते है? सुझाव तो काफ़ी आए पर कोई ऐसा हल नही मिला जो सफल हो पाता।परंतु बच्चो का क्या? इसमें बच्चो की क्या गलती जिनके साथ मेने 1 साल काम किया और कहानियों में रुचि पैदा की? मुझे उनसे एक दम ये सब दूर होता दिख रहा था। मुझे खुदको कुछ अच्छा महसूस नही हो रहा था। जब वह मुझसे पूछते थे के हम लाइब्रेरी में कब जायेंगे? हमे इस साल और मजेदार कहानियां सुननी है एवं अलग-अलग खेल खेलने हैं। यहाँ तक की वे अपना टाइम टेबल भी वह खुद सोचे बैठे थे। ऐसे में उन्हें स्कूल में लाइब्रेरी सत्र ना होने की खबर बता पाना मेरे लिए बहुत मुश्किल था। उनके साथ मेरा टीचर का नहीं बल्कि दोस्त का रिश्ता था। निराश होते हुए मुझे वहाँ से दूसरे स्कूल जाना पड़ा ।


दूसरा विद्यालय वैसे तो उसी गाँव मैं है। पर जब मैं उसमे गया तो मुझे एहसास हुआ की मैं कही और ही आ गया हूँ। कुछ दिन मेरा मन ही नही लगा और मुझे बार-बार पुराने स्कूल के बच्चो की याद आती रही। पर धीरे-धीरे हम आपस में घुल मिल गए। पर आज भी मैं ये सोचता हूँ कि क्या बिना कमरे या जगह के लायब्रेरी सुचारू रूप से नही चल सकती? या इसका कोई हल नही? इसी सवाल के साथ मैं आपको छोड़ता हूँ।


By Shoaib


1 view

Recent Posts

See All

जून की छुट्टियां खत्म हो चुकी थी और स्कूल खुलने वाले थे। मैं इस चीज को लेकर बहुत खुश थी कि अब मैं स्कूल जाकर अपने पीबीएल पर अच्छे से काम कर पाऊंगी। ट्रेनिंग के बाद मैं समझ गई थी के बच्चो PBL के सभी एल

मेरी कहानी की शुरुआत होती है, जैसे कि हमने पीबीएल प्रोजेक्ट करना था और हमारा पीबीएल प्रोजेक्ट था "Make your own Poem" बच्चो को खुद से पोएम बनानी थी। ये बात सुनकर बच्चे एक दम से बोले हमे नहीं आती खुद स

bottom of page