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  • Writer's pictureSamanta

IMPACT X STORIES - 6

जब हम स्कूल का नाम सुनते है तो हमारे दिमाग में टाइम टेबल, अध्यापक, बच्चे, प्रार्थना आते है। पर क्या हो अगर स्कूल में प्रार्थना ही ना हो तो। यह समस्या मेरे स्कूल में भी थी और जिसके कारण काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। जैसे बच्चों का एक निर्धारित समय पर नहीं आना, सीटिंग अरेंजमेंट की समस्या होना आदि।



इन छोटी-छोटी चीजों का हल कही न कही असैम्बली के छुपा होता है। इसका एहसास मुझे हुआ और मैंने अपने स्कूल के प्रधानाध्यापक से इस पर चर्चा की। उन्होंने भी इसमें काफी रुचि दिखाई और प्रार्थना का culture स्कूल में शुरू करने की पहल की। शुरू में बच्चे समय पर नहीं आ रहे थे। तब हमने असैम्बली को रोचक बनाने के ऊपर काफी चर्चा की। शुरू में हमने स्पीकर में बालगीत चलाए, और अब धीरे धीरे बच्चे समय पर आने लगे और इसे बेहतर बनाने पर हमेशा चर्चा होती रहती है।


By Shoaib

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