बोधी ग्राम
हमारी यात्रा शुरू होती है 12 जुलाई 2024 से। हम सभी को अपने-अपने घरों से मेन रोड तक जाना था, जहां वह बस थी, जो हमें एक नए सफर पर ले जाने के लिए तैयार थी। हम सब बस में बैठ गए, किसी ने बात नहीं की क्योंकि हम, एक गांव में रहकर भी, एक-दूसरे को नहीं जानते थे। सफर शुरू हुआ। हम सभी आमना मैम को छोड़कर किसी और को नहीं जानते थे, और हमारा सफर जारी रहा जब तक हम अपनी मंजिल तक नहीं पहुंचे।अपनी मंजिल पर पहुंचते ही हमने देखा कि सफर जितना खूबसूरत था, उससे ज्यादा खूबसूरत उसकी मंजिल थी। हमारी मंजिल थी बोधी ग्राम, देहरादून। वहां का मौसम, वादियां और प्रकृति बहुत ही मनमोहक थी।यहां हमारा तीन दिन का बसेरा था। ऐसे तो घर से ज्यादा दिन दूर नहीं रहा जाता, पर यहां इतनी शांति और सुकून था। यहां के कुछ नियम-कायदे थे, जिन पर हम सभी को चलना था, और हम चले भी। उनमें से कुछ नियम थे:
वहां एक आम का बगीचा था, जिसमें बहुत सारे आम लगे हुए थे। नियम था कि कोई भी पेड़ से आम नहीं तोड़ेगा, जो नीचे गिरे होंगे, वही उठाने और उपयोग में लाने हैं।
साफ-सफाई का ख्याल रखना है, कोई गंदगी नहीं करेगा।
वहां सभी अपना काम स्वयं करेंगे।
कुछ नियम ऐसे भी थे जिन्हें हम अपने व्यवहार में ला सकते हैं और एक अच्छा आचरण बना सकते हैं।
जैसा कि ऊपर बताया, हमारा 3 दिन का बसेरा था। पहले दिन जब हम वहां पहुंचे, हमने ब्रेकफास्ट किया, जो बहुत ही स्वादिष्ट था। फिर हमें अपने-अपने कमरे अलॉट किए गए। एक कमरे में हम तीन लड़कियां साथ थीं। 1 घंटे के ब्रेक के बाद हमें एक हाल में बुलाया गया। वह हाल बहुत ही खूबसूरती से बनाया गया था—लकड़ी और लोहे का परफेक्ट मेल। (वहां की एक और खासियत थी कि वहां सब कुछ लोहे, लकड़ी और बांस से बनाया गया था, बिल्कुल नेचर फ्रेंडली)। हम लगभग 25-30 लोग होंगे, सभी अनजान लोग, नई जगह, लेकिन फिर भी मुझे बिल्कुल डर नहीं लग रहा था।
रिवर ऑफ लाइफ
हम सभी हाल में पहुंचे और हमने एक गेम खेला। वह गेम बड़ा ही इंटरेस्टिंग था। हम सभी को एक-दूसरे के बारे में तीन चीजें जाननी थीं:
नाम
फेवरेट फूड
एक इंटरेस्टिंग बात
हम सभी बहुत जोश में थे। हमने एक-दूसरे से जानकारी इकट्ठा की और साझा की। हम जल्दी ही एक-दूसरे के साथ फ्रेंडली हो गए थे।फिर हमें एक टास्क दिया गया, जो बहुत ही रोमांचक था और खुद के बारे में सोचने पर मजबूर करने वाला था, साथ ही पुरानी यादों को तरोताजा करने वाला था। वह टास्क था “लाइफ की रिवर”। इसमें हमने एक चार्ट बनाया और उसमें अब तक के जीवन को नदी के माध्यम से बताया। फिर उसे सभी के साथ साझा किया।अपनी 'रिवर ऑफ लाइफ' को साझा करना मेरे लिए बहुत ही यादगार और इमोशनल था। इससे पहले मैंने अपनी जिंदगी को इस तरह कभी परिभाषित नहीं किया था। पहली बार मैंने अपनी लाइफ को इतनी नजदीक से देखा और महसूस किया कि मैं इससे बेहतर कर सकती थी। अब मेरे मन में बस एक ही विचार है:“जो बीत गई वो बात पुरानी, अब लिखनी है नई कहानी।”
मैं शुक्रगुजार हूं समानता फाउंडेशन और तान्या मैडम, प्रशांत सर, और आमना मैडम की, जिन्होंने मुझे खुद को बेहतर तरीके से जानने का मौका दिया। थैंक यू सो मच, सर और मैडम।
फिर एक नया दिन और नया सफर
अगली सुबह हमें फिर से हाल में बुलाया गया, और एक छोटी-सी एक्टिविटी करवाई गई। "हैंड मॉडल" के माध्यम से हमें अपनी खूबियों, खामियों और ताकत के बारे में जानने का एक और मौका मिला। उसके बाद मैंने बोधी ग्राम से विदा ली।
प्रपोजल
घर आकर बोधी ग्राम को मिस किया। फिर हमें कॉल आया कि हमें एक प्रपोजल तैयार करना है। प्रपोजल बनाने के लिए 2 दिन का समय मिला, और प्रपोजल सेलेक्ट होने पर ही हमारा चयन होना था। इसमें सर और मैडम ने बहुत हेल्प की और सब कुछ समझाया कि कैसे बजट बनाना है, कैसे काम करना है। फिर भी सही से नहीं बना, तो हमारी पहली मीटिंग गुज्जर बस्ती में हुई, जहां फिर से प्रपोजल को समझाया गया।प्रपोजल में छोटे-छोटे चेंज से ही सुधार हुआ। हमारी अंतिम मीटिंग ऑनलाइन हुई, जिसमें हमने अपना प्रपोजल समझाया और बताया कि फैलोशिप से हमें क्या फायदे होंगे। फिर आखिरकार फोन आया कि हमारा प्रपोजल सिलेक्ट हो गया है। उस दिन बहुत खुशी थी और थोड़ा नर्वसनेस भी, कि आगे क्या होगा, कैसे करेंगे। लेकिन तान्या मैडम, प्रशांत सर और आमना मैडम के सानिध्य में सब कुछ आसान हो गया।
फ्लाई फेलोशिप
हमारे डॉक्यूमेंट्स साइन हुए, और हम ऑफीशियली फ्लाई फेलोज बन गए। हमें वीकली और मंथली मीटिंग्स के बारे में बताया गया। शुरुआत में वीकली रीडिंग में नर्वसनेस होती थी—समझ नहीं आता था कि क्या पूछेंगे, क्या बोलना है। लेकिन एक मीटिंग के बाद सब कुछ समझ आने लगा।हमें वीकली मीटिंग में मेंटर्स एलॉट किए गए। मेरी मेंटर तान्या मैडम हैं, जिनके साथ काम करना थोड़ा आसान हो गया। उनका समझाने का तरीका बहुत सरल और सीधा है। उनके साथ वीकली मीटिंग होती है और अपने काम के बारे में बताती हूं।
पहली मीटिंग में मेरा अनुभव
तान्या मैम और प्रशांत सर ने बहुत सारे तरीके सिखाए, जो बिजनेस ग्रोथ में मददगार थे। कुछ तरीके फॉलो करके मुझे फायदा भी हुआ। फिर हमारी प्यारी सी सोनिया मैडम आईं, जो हमारी प्रोग्राम मैनेजर हैं। वह हमारी वीकली और मंथली मीटिंग्स को-ऑर्डिनेट करती हैं। उनसे मैंने बहुत कुछ सीखा। उन्होंने मुझे आत्मविश्वास दिया और बोलने का साहस भी। अब उनके साथ बहुत कंफर्टेबल महसूस करती हूं, बिना झिझक के सवाल पूछ सकती हूं।
मेरा विज़न
मेरा सपना है कि मैं अपने छोटे पार्लर को एक बड़े सैलून में बदल सकूं, जहां मैं बहुत से लड़के-लड़कियों को रोजगार दे सकूं। मैं समाज से बेरोजगारी को कम करने में कुछ योगदान देना चाहती हूं। अभी खुद को स्थापित करने का प्रयास जारी है।मैं चाहती हूं कि मैं हमेशा समानता फाउंडेशन से जुड़ी रहूं, और किसी भी प्रोग्राम में अपना सहयोग दे सकूं। अगर भविष्य में समानता फाउंडेशन पार्लर से जुड़े किसी प्रोजेक्ट को शुरू करता है, तो मैं जरूर जुड़ना चाहूंगी।
हमारी मंथली मीटिंग्स में हम सभी एक साथ वार्तालाप करते हैं और कार्य की प्रगति के बारे में बात करते हैं। हमारा अब तक का सफर बहुत ही शानदार और मजेदार रहा है। हां, शुरुआत में थोड़ा नर्वसनेस और डर लगता था, परंतु अब सब आसान हो गया है और अपने काम को इंजॉय कर रही हूं। नए लोग जुड़ रहे हैं, और एक नया सफर शुरू हो चुका है।मैं शुक्रगुजार हूं ईश्वर की और फाउंडर तान्या मैडम, प्रशांत सर, और आमना मैडम की, जिनकी वजह से मैं इस सहयोगी, जोश और उत्साह से भरे ग्रुप का हिस्सा बन पाई।
-- Anju
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