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Writer's pictureSamanta

नई किरण एक नई उम्मीद

सभी को मेरा प्रणाम , मुझे आशा है की आप स्वस्थ होंगे , आज के ब्लॉग में मैं आपसे अपने बीते हुए कल के बारे में बताना चाहता हूं।

मई का महीना पिछले कुछ सालों के मुकाबले इस साल मई में काफी गर्मी रही और मई का महीना तो मेरा पसंदीदा है क्योंकि मेरा जन्मदिवस भी इसी महीने में आता है तो ये भी एक कारण है इस महीने को पसंद करने का। खेर ये बात तो रही पसंद की अब अपने विषय पर आते है।

मेरा मानना है कि हर दिन हमारे लिए एक नया जीवन है जिसे हमें रोज बेहतर बनाने का प्रयास करते रहना चाहिए और कुछ नया सीखना चाहिए, इसी के साथ - साथ हमसे अपने जीवन में कुछ गलतियां भी होती है। तो हमें उन गलतियों पर समय देना चाहिए और देखना चाहिए की किस जगह गलती हुई है और इसको मैं कैसे सुधार सकता हूं।

    गलतियों पर हमें सोचना चाहिए क्या वो सच में गलती है या केवल उसका लक्षण ही है और यदि गलती है भी तो उसका कारण क्या है एवं उस कारण के मूल कारण तक हमें पहुंचना है। यदि हम यह नियम अपनाते है तो बेशक हम गलतियों से काफी कुछ सीखेंगे ।

   आपको हमेशा सोचना है की आपके पास जो कल आने वाला है वो आपके लिए नए अवसर लेकर आता है उसको आपको कैसे हासिल करना है वो आपका लक्ष्य है ।

   एक उदाहरण लेते है मैं जिस विद्यालय में पढ़ाने जाता हूं वहां पर बच्चे विद्यालय कभी-कभी आते हैं और सुबह लेट आते हैं। तो यह कोई प्रॉब्लम नहीं है यह किसी प्रॉब्लम के लक्षण है हमें इसके पीछे का कारण जानना है। तो जब मैंने इस बात का गहन किया तो मैंने जाना कि जो इलाक़ा है वहां पर काफी मंदिर हैं जिस कारण बच्चे स्कूल समय के बाद प्रसाद बेचते हैं। वे वहां यात्रियों को टीका लगाने जाते हैं जिस कारण वह विद्यालय में रेगुलर नहीं आते है। यह इसका कारण है और जब मैंने मूल कारण जानना शुरू किया तो मेरी समझ में आता है कि उनकी पारिवारिक स्थिति ठीक नहीं है और बच्चे घर को सहयोग करने के लिए पैसे कमाने जाते है क्योंकि अगर वे काम नहीं करेंगे तो वह अपनी जीविका को चला नहीं पाएंगे इसी कारण वह अपने इस काम को प्राथमिकता देते हैं


हमे हमेशा ध्यान में रखना है कि समस्या आना एक आम बात है परंतु उस समस्या का निवारण करना हमारी जीत है ।


दूसरी बात हमें हमेशा जहा भी सीखने का मौका मिल रहा है बिना सोचे कूद जाना चाहिए क्योंकि सीखने से तात्पर्य केवल पढ़ाई के संदर्भ से न होकर अन्य संदर्भ से भी हो सकता है  

“करत-करत अभ्यास के जडमति होत सुजान । 

रसरी आवत-जात ते सिल पर परत निशान ॥”


“सीखना कभी मत छोड़ो।”


By Vinit

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