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IMPACT x STORIES - 2

  • Writer: Samanta
    Samanta
  • Jul 29, 2023
  • 2 min read


मैं अपने स्कूल का एक अनुभव सांझा करना चाहती हूँ।


मैं आफरीन जहां, समानता फाउंडेशन से एक फैलो के तौर पर स्कूल में बच्चे पढ़ती हूँ। स्कूल के तो वैसे दिन प्रतिदिन हर रोज नए अनुभव होते है। हमे हर रोज बच्चो को कुछ सिखाना होता है। पीबीएल प्रोजेक्ट्स को लेकर मेरी समझ बनी है कि जैसे यह पद्धति बाहर देशों में बच्चो की कुशलता, लिखना, पढ़ना आदि पर कार्य करता है उसी प्रकार भारत के उत्तराखंड राज्य के छोटे से गाँव गुज्जरबस्ती के सरकारी स्कूल में पीबीएल बच्चो को पढ़ाया जाना समानता फाउंडेशन द्वारा एक अच्छी पहल की गई है। यह फैलो के लिए भी एक नई पद्धति सीखने का मौक़ा है। जिसके लिए फैलो को पहले से खुद तैयारी करनी होती है कि कैसे प्रोजेक्ट को बच्चो के साथ प्रोयोग मैं लाना है। स्कूल में पढ़ाने के सबके अपने-अपने तरीके होते है परंतु गतिविधियों के माध्यम से पढ़ना दिलचस्प होता है और बच्चे मजे लेकर कुछ सीखते है अतः पढ़ते है।


जब बच्चो से मैं अवगत हुई तो वे अपने समुदाय के व्यक्ति को देखकर खुश हुए क्योंकि उन्हे लगा शायद इससे हम अपनी भाषा में बात कर सकते है। यह शायद हमारी बातों को बेहतर समझ सके और हमे भी समझा सके। बच्चो से बात करने पर मुझे लगा के उन्हें भी शायद ऐसे व्यक्ति की आवश्यकता थी जिससे वे बेजिझक और बिना भाषा की फ़िक्र किए अपनी बात कर सके।


इस महीने पीबीएल प्रोजेक्ट्स के रूप में एक नई चीज की शुरुआत हुई थी जिसमे बच्चे रुचि लेकर सीखते है।

पीबीएल एक नया अध्ययन था जिससे हम भी अवगत नहीं थे। यह क्या होता है? कैसे इसमें बच्चे पढ़ते है? अनेक तरह के सवाल। परंतु जब इसके बारे में जाना तो समझ बनी और लगा की बच्चो के लिए लाभदायक है और मजेदार बात इस बार पीबीएल के साथ जो वर्कबुक दी जाती है वह अंग्रेजी भाषा में थी जिसका बच्चो से दूर दूर तक कोई नाता नहीं था। बच्चे देखकर हैरान परेशान हो गये कि कैसे करेंगे? हमे तो इंग्लिश ही नहीं आती? फिर बच्चो से को समझाया कि अंग्रेजी भाषा पढ़नी और सीखनी है तो उसके लिए उसे पढ़ेंगे तभी आयेगी!!! मुझे भी नही आती और हम साथ सीखेंगे। ये बात सुनकर बच्चो ने थोड़ा हिम्मत की और मुझे भी थोड़ी हिम्मत मिली ।

पहला प्रोजेक्ट्स शुरू किया गया। इसमें बच्चो को ख़ुद की बनाई कहानी लिखनी थी। कहानी के साथ साथ उन्हे संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, और क्रिया विशेषण भी सीखना था। तो बच्चो ने सबने अपने मन से कहानी लिखी और सभी बच्चे अपनी कहानी के क्रिया, संज्ञा और सर्वनाम अलग अलग पर्ची पर लिखकर लाए। पर्चियों के द्वारा बच्चो ने संज्ञा और सर्वनाम छांटने की क्रिया की। इस तरह मेने पीएबएल प्रोजेक्ट्स को जाना और समझा।



By - Afreen

 
 
 

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